हाई कोर्ट का फैसला महिलाओं को नहीं मिल सकता है पूरा भरण-पोषण जाने क्या है यह मामला
हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि अगर महिला काम करने में सक्षम है तो वह अपने पति से भारी भरकम मुआवजे की मांग नहीं कर सकती. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजेंद्र बादामीकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक तलाकशुदा महिला द्वारा प्रस्तुत आपराधिक समीक्षा याचिका पर विचार करते हुए बुधवार को यह फैसला दिया.
गुजारा भत्ता मांग सकती है
पीठ ने कहा कि शादी से पहले काम करने वाली महिला के पास शादी के बाद घर पर बैठने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है. पीठ ने आगे कहा कि काम करने की क्षमता होने के बावजूद वह बेकार बैठ नहीं सकतीं. इसके साथ ही वह अपने पति से मुआवजे की मांग भी नहीं कर सकती. वह केवल आजीविका के लिए गुजारा भत्ता मांग सकती है. याचिकाकर्ता का पूर्व पति प्रोविजन स्टोर चलाता है. वह अपनी मां शादीशुदा बहन की देखभाल कर रहा है. पति के साथ रहने में असमर्थ महिला ने तलाक मांगा.